आमोदिनी (द्वितीयः भागः)
प्रथमः पाठः (प्रथम पाठ)
धन्यं भारतवर्षम्(भारतवर्ष धन्य है)
समस्त पाठ के प्रश्नोत्तर
प्रश्न१. एतत् गीतं सस्वरं गायत। (इस गीत को स्वर सहित गाओ)
उत्तर- विद्यार्थी याद करके स्वयं गाएं (गतिविधि)
प्रश्न २.हिन्दी-भाषायाम् अनुवादं कुरुत-(हिन्दी भाषा में अनुवाद करो)
यस्य संस्कृतिः तोषदायिनी,
पापनाशिनी पुण्यवाहिनी।
यत्र पुण्यदा गङ्गा याति,
सिन्धु-नर्मदा सदा विभाति।
सरस्वती च-धन्या-धन्या,
यमुना कृष्णा मान्या मान्या।
श्रृणुमो यत्र च वेदं पुण्यम् ॥
उत्तर-
जिसकी संस्कृति संतोष प्रदान करने वाली, पापों का नाश करने वाली और पुण्य प्रदान करने वाली है। जहाँ पुण्य देने वाली गंगा बहती है, सिन्धु, नर्मदा हमेशा सुशोभित होती हैं। जहाँ की सरस्वती नदी धन्य है और यमुना, कृष्णा नदी आदरणीय हैं, जहाँ हम पवित्र वेद सुनते हैं। ऐसा पवित्रता से युक्त भारतवर्ष धन्य है।
प्रश्न ३. पाठम् आधृत्य संज्ञापदेन सह उचितं विशेषणं योजयत। (पाठ पर आधारित संज्ञा शब्द के साथ उचित विशेषण का मिलान करें)
(क) गंगा धन्या
(ख) सरस्वती रम्याः
(ग) यमुना पुण्यदा
(घ) पर्वताः मान्या
उत्तर-(क) गंगा पुण्यदा
(ख) सरस्वती धन्या
(ग) यमुना मान्या
(घ) पर्वताः रम्याः
४. उत्तराणि लिखत (उत्तरों को लिखो)
(क) कस्य संस्कृतिः तोषदायिनी अस्ति?
उत्तर- भारतवर्षस्य
(ख) वयं पुण्यं वेदं कुत्र शृणुमः?
उत्तर- भारतवर्षे
(ग) अत्रत्याः पर्वताः कीदृशाः सन्ति?
उत्तर- रम्याः
(घ) पाठे वर्णितानि पञ्चपर्वतनामानि लिखत।
उत्तर-कैलासः, हिमालयः, विन्ध्याचलः,सतपुड़ा, अरावली।
प्रश्न ५. पाठे वारद्वयं प्रयुक्तान् शब्दान् लिखत- (पाठ में दो बार प्रयुक्त किए गए शब्दों को लिखो)
यथा-धन्यं धन्यम्
उत्तर- क) धन्या धन्या
(ख) मान्या मान्या
(ग) रम्याः रम्याः
(घ) पुण्यं पुण्यम्
प्रश्न ६. शुद्धं शब्दं रेखाङ्कितं कुरुत- (शुद्ध शब्दों को रेखांकित करो)
यथा- तोषदायीनी/ तोशदायिनी तोषदायिनी।
उत्तर- (क) पापनासिनी / पापनाशिनी /पापनाषिनी
(ख) संस्कृतीः/ सस्कृतिः / संस्कृतिः
(ग) पुण्यवाहीनी/ पुण्यवाहिनि / पुण्यवाहिनी
(घ) पुण्यम् / पुन्यम्/ पूण्यम्/
आओ करके सीखें-
नोट – विद्यार्थी स्वयं करें।