सदाचारः षष्ठः पाठः आमोदिनी-भाग-2

                               सदाचारः

                               अभ्यासः

प्रश्नः १. श्लोकान् सस्वरं गायत। (श्लोकों को स्वर सहित गाओ।)

उत्तरम् – विद्यार्थी स्वयं गाएँ।

प्रश्न २. उपयुक्तकथनानां समक्षम् ‘आम्’ अनुपयुक्तकथनानां समक्षं ‘न’ इति लिखत-(सही कथनों के सामने हाँ, गलत कथनों के सामने न लिखो)

(क) अनृतं ब्रूयात्।                               (न)

(ख) सर्वदा व्यवहारे मृदुता स्यात्।            (आम्)

(ग) आचारः परमं धनं नास्ति।                (न)

(घ) विद्यया कुलं रोचते।                        (आम्)

(ङ) दुराचारः पुरुषः लोके निन्दितः भवति। (आम्)

३. एकपदेन उत्तरत- (एक शब्द में उत्तर दो)

(क) किं ब्रूयात्?

उत्तरम्- सत्यम्

(ख) कदाचन किं न कुर्यात्?

 उत्तरम्-कौटिल्यम्

(ग) दध्नः किम् उ‌द्भवति?

उत्तरम्-नवनीतम्

(घ) कीर्तिः कस्मात् लभते?

उत्तर-आचारात्

(ङ) आचारात् का रोचते?

उत्तरम्-विद्या।

प्रश्नः ४. प्रश्नमध्ये त्रीणि क्रियापदानि सन्ति। तानि प्रयुज्य सार्थक-वाक्यानि रचयत- (प्रश्न में तीन क्रिया पद हैं। उनका प्रयोग कर सार्थक वाक्य बनाओ)

उत्तरम्- यथा- आचारात् विद्या रोचते।

(1) अनृतं प्रियं च न ब्रूयात्।

(2) विद्यया कुलं रोचते।

(3) व्यवहारे मृदुता स्यात्।

(4) सत्यम् अप्रियं च न ब्रूयात्।

(5) व्यवहारे कदाचन कौटिल्यं न स्यात्

(6) सत्यं प्रियं च ब्रूयात्।

(7) व्यवहारे सर्वदा औदार्यम् स्यात्।

प्रश्न ५. मञ्जूषातः अव्ययपदानि चित्वा रिक्तस्थानानि पूरयत-

        (कोष्ठक से अव्यय शब्दों को चुनकर खाली स्थानों को भरो)

(न, च, कदाचन, सर्वदा, अपि)

उत्तरम्-

(क) सर्वदा सत्यं ब्रूयात्।

(ख) लता मेघा विद्यालयं गच्छतः।

(ग) दुराचरणं कर्त्तव्यम्।

(घ) कदाचन अप्रियं न कुर्यात्।

(ङ) सर्वदा कुशली भवान्।

प्रश्न ६. द्वितीयचतुर्थश्लोकयोः हिन्दीभाषायाम् अनुवादं कुरुत- (दूसरे, चौथे श्लोक का हिन्दी भाषा में अनुवाद करो)

उत्तरम्- विद्यार्थी दूसरे और चौथे श्लोक का अर्थ यहां लिखे।

                              आओ! करके सीखें।

  निर्देश- विद्यार्थी स्वयं उच्चारण करे।

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