सदाचारः
अभ्यासः
प्रश्नः १. श्लोकान् सस्वरं गायत। (श्लोकों को स्वर सहित गाओ।)
उत्तरम् – विद्यार्थी स्वयं गाएँ।
प्रश्न २. उपयुक्तकथनानां समक्षम् ‘आम्’ अनुपयुक्तकथनानां समक्षं ‘न’ इति लिखत-(सही कथनों के सामने हाँ, गलत कथनों के सामने न लिखो)
(क) अनृतं ब्रूयात्। (न)
(ख) सर्वदा व्यवहारे मृदुता स्यात्। (आम्)
(ग) आचारः परमं धनं नास्ति। (न)
(घ) विद्यया कुलं रोचते। (आम्)
(ङ) दुराचारः पुरुषः लोके निन्दितः भवति। (आम्)
३. एकपदेन उत्तरत- (एक शब्द में उत्तर दो)
(क) किं ब्रूयात्?
उत्तरम्- सत्यम्
(ख) कदाचन किं न कुर्यात्?
उत्तरम्-कौटिल्यम्
(ग) दध्नः किम् उद्भवति?
उत्तरम्-नवनीतम्
(घ) कीर्तिः कस्मात् लभते?
उत्तर-आचारात्
(ङ) आचारात् का रोचते?
उत्तरम्-विद्या।
प्रश्नः ४. प्रश्नमध्ये त्रीणि क्रियापदानि सन्ति। तानि प्रयुज्य सार्थक-वाक्यानि रचयत- (प्रश्न में तीन क्रिया पद हैं। उनका प्रयोग कर सार्थक वाक्य बनाओ)
उत्तरम्- यथा- आचारात् विद्या रोचते।
(1) अनृतं प्रियं च न ब्रूयात्।
(2) विद्यया कुलं रोचते।
(3) व्यवहारे मृदुता स्यात्।
(4) सत्यम् अप्रियं च न ब्रूयात्।
(5) व्यवहारे कदाचन कौटिल्यं न स्यात्
(6) सत्यं प्रियं च ब्रूयात्।
(7) व्यवहारे सर्वदा औदार्यम् स्यात्।
प्रश्न ५. मञ्जूषातः अव्ययपदानि चित्वा रिक्तस्थानानि पूरयत-
(कोष्ठक से अव्यय शब्दों को चुनकर खाली स्थानों को भरो)
(न, च, कदाचन, सर्वदा, अपि)
उत्तरम्-
(क) सर्वदा सत्यं ब्रूयात्।
(ख) लता मेघा च विद्यालयं गच्छतः।
(ग) दुराचरणं न कर्त्तव्यम्।
(घ) कदाचन अप्रियं न कुर्यात्।
(ङ) सर्वदा कुशली भवान्।
प्रश्न ६. द्वितीयचतुर्थश्लोकयोः हिन्दीभाषायाम् अनुवादं कुरुत- (दूसरे, चौथे श्लोक का हिन्दी भाषा में अनुवाद करो)
उत्तरम्- विद्यार्थी दूसरे और चौथे श्लोक का अर्थ यहां लिखे।
आओ! करके सीखें।
निर्देश- विद्यार्थी स्वयं उच्चारण करे।