सरस्वती वन्दना या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता

        आओ पढ़े- सरस्वती वन्दना या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता…..

       यह भारतीय प्राचीन सनातन परम्परा ही है कि किसी भी कार्य को करने से पहले ईश्वर की आराधना की जाती है। हिन्दूओं के द्वारा अनेकों देवी देवताओं को पूजा जाता है जिनमें भगवती सरस्वती को विद्या की देवी के रूप में पूजा जाता है। विद्यालयों में प्रतिवर्ष वसन्त पंचमी के सुअवसर पर विद्यार्थियों के द्वारा सरस्वती वन्दना का गायन कर मां सरस्वती से सद्बुद्धि प्राप्ति के लिए प्रार्थना की जाती है। आइए सरस्वती वन्दना का गायन कर उसका हिन्दी अर्थ जानते हैं-

              सरस्वती वन्दना

           या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता

              या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।

             या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता

                        सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥1॥

हिन्दी अर्थ-

     जो कुन्द ( एक पुष्प विशेष जो कि श्वेत वर्ण का होता है, इसे मोगरा पुष्प के नाम से भी जाना जाता है) के पुष्प, चन्द्रमा, हिमराशि(बर्फ) एवं मोती के हार की तरह धवल(सफेद) वर्ण की है तथा श्वेत(सफेद) वस्त्र धारण करती है, जिनके हाथों में वीणा दण्ड शोभायमान है तथा श्वेत(सफेद) पद्म(पुष्प) जिनका आसन है, ब्रह्मा, विष्णु, महेश आदि देवता जिनकी वन्दना करते हैं तथा जो बुद्धि की जडता (मूर्खता) रूपी अन्धकार को दूर करती है  ऐसी भगवती सरस्वती मेरी रक्षा करे।

            शुक्लां ब्रह्मविचार-सार-परमामाद्यां जगद् व्यापिनीं

              वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्।

              हस्ते स्फाटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्

           वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्॥2॥

 हिन्दी अर्थ-  

           श्वेत(सफेद) रूप को धारण करने वाली, ब्रह्मचिन्तन(ईश्वरचिन्तन) के साररूपी परम उत्कृष्ट को धारण करने वाली, जो आदि शक्ति है तथा  समस्त चराचर संसार को व्याप्त करने वाली, अपने हाथों पर वीणा और पुस्तक धारण करने वाली, सभी को भयमुक्त(भयरहित) करने वाली, अध्येताओं(पढ़ने वालों) की बुद्धि से जडता(मूर्खता) रूपी अन्धकार को दूर करने वाली, हाथ में स्फटिक की माला धारण करने वाली, कमल के आसन पर विराजमान रहने वाली तथा बुद्धि प्रदान करने वाली जो परमेश्वरी भगवती सरस्वती है उसकी मैं वन्दना(प्रार्थना) करता हूं।

 

                        सरस्वती वन्दना या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता के साथ 

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