धनस्य सदुपयोगः, पञ्चमः पाठः, आमोदिनी भाग-2

आमोदिनी (द्वितीयः भागः)

धनस्य सदुपयोगः

                                                                  पञ्चमः पाठः 

 प्रश्न १. उच्चारणं कुरुत-(उच्चारण करो)

नदीम्        नद्यौ        नदी:

सखीम्       सख्यौ     सखी:

भगिनीम्    भगिन्यौ   भगिनी:

निर्देश- विद्यार्थी अध्यापक के सहयोग से उच्चारण करना सीखें।

 २. रिक्तस्थानानि पूरयत-(खाली स्थानों को पूरा करो)

उत्तरम् –

(क)कर्महीनेभ्यः धनं यच्छानि येन ते द्यूतादिकेषु संलग्नाः भवेयुः।

(ख) अवश्यमेव तव वचनस्य पालनं भविष्यति।

(ग) कूर्मांचलेषु दारमा इति उपत्यका प्रसिद्धा अस्ति।

(घ) मम पार्श्वे प्रभूतं धनमस्ति ।

(ङ) तव अनेन धनेन चिरं यावत् जनानाम् उपकारः भविष्यति।

प्रश्न ३. वाक्यानि घटनाक्रमेण योजयत (वाक्यों को घटना क्रम से जोड़ो)

(1) कूर्मांचलेषु दारमा इति उपत्यका प्रसिद्धा अस्ति।

(2) एवं नद्यां किं करोषि ?

(3) तदा रैमजे वदति देवि! का असि त्वम्।

(4) प्रभूतं धनम् अस्ति मम पार्श्वे।

(5) अहं जसुली अस्मि।

(6) अतएव प्रतिदिनं नदीं समर्पयामि।

(7) तदानीं सा नद्याः जले स्वर्णमुद्राणां प्रक्षेपणं करोति स्म।

उत्तरम्-

(1) कूर्माञ्चलेषु दारमा इति उपत्यका प्रसिद्धा अस्ति।

( 2) तदानीं सा नद्या: जले स्वर्णमुद्राणां प्रक्षेपणं करोति स्म।

(3) तदा रैमजे वदति देविः का असि त्वम्?

(4) एवं नद्यां किं करोषि ?

(5) अहं जसुली अस्मि।

(6) प्रभूतं धनम् अस्ति मम पार्श्वे।

(7) अत एव प्रतिदिनं नदीं समर्पयामि।

प्रश्न-४.कः / का, कं/ कां प्रति वदति, इति संवादस्य सम्मुखे लिखत-

(किसने, किससे कहा, यह संवाद के सामने लिखो)

उत्तरम्-यथा-

‘अवश्यमेव तव वचनस्य पालनं भविष्यति ।’    रैमजे    जसुलीं   प्रति

                                                  कः /का    कं/कां

(क) भगिनि किं धनस्य उपयोगःएवमेव भवति।

                                             रैमजे जसुलीं प्रति वदति

 (ख) मम पार्श्वे प्रभूतं धनमस्ति।

                                          जसुली   रैमजें प्रति   वदति

(ग) भो! कः आशयः भवतः?

                                          जसुली    रैमजें प्रति   वदति

(घ) अहमपि तदा प्रसन्नतायाः अनुभवं करिष्यामि।

                                           रैमजे     जसुलीं प्रति  वदति

प्रश्न:-५- एतां कथां हिन्दी-भाषायां कक्षायां श्रावयत-(यह कथा हिंदी भाषा               में कक्षा में सुनाओ।)

६.प्रश्नानाम् उत्तराणि लिखत (प्रश्नों के उत्तर लिखो)-

(क) कूर्मांचलेषु का प्रसिद्धा अस्ति?

 उत्तर-दारमा उपत्यका।

(ख) काम् उभयतः वृक्षाः सन्ति?

उत्तर-नदीम् उभयतः वृक्षाः सन्ति।

(ग) ‘का असि त्वम्’ इति कः अवदत् ?

उत्तर – रैमजे अवदत्।

(घ) किं श्रुत्वा सा प्रसन्ना अभवत् ?

उत्तर- चिकित्सालयानां निर्माणं कुरु तव धनस्य सदुपयोगं                 भविष्यति इति श्रुत्वा सा प्रसन्ना अभवत्।

(ङ) सा कुत्र स्वर्णमुद्राणां प्रक्षेपणं करोति स्म? 

उत्तरम्- नद्या जले|

(च) इयं वार्ता जनेषु कथं प्रसृता?

उत्तर – कर्णपरम्परया|

७.सन्धिं/सन्धि-विच्छेदं वा कुरुत (सन्धि/सन्धि विच्छेद करो)

(क) अथैकदा                  अथ+एकदा

(ख) धर्म +अनुरागिणी        धर्मानुरागिणी                       

(ग) हिमालयः                  हिम+आलयः

(घ) द्यूत + आदिकेषु        द्यूतादिकेषु

( ङ) चिकित्सा +आलयानाम्      चिकित्सालयानाम्

(च) धनमस्ति                       धनम् +अस्ति

(छ) सुष्ठूक्तम्                      सुष्ठु+ उक्तम्

(ज) द्यूतादिकेषु                   द्यूत+आदिकेषु

प्रश्न ८.अनुवादं कुरुत- (अनुवाद करो)

  (1) नदी के दोनों और पेड़ हैं।

  उत्तरम्-नदीम् उभयतः वृक्षाः सन्ति।

  (2) मन्दिर के चारों ओर फूल हैं।

  उत्तरम् –मन्दिरम् परितः पुष्पाणि सन्ति।

  (3) रोगियों के लिए चिकित्सालय का निर्माण करो।

  उत्तरम्-रुग्णानाम् कृते चिकित्सालयानां निर्माणं कुरु।

  (4) अवश्य ही तुम्हारे वचनों का पालन होगा।

  उत्तरम्-अवश्यमेव तव वचनस्य पालनं भविष्यति।

  (5) ईश्वर की कृपा से पुनः मिलेंगे।

  उत्तरम्- ईश्वरकृपया पुनः मेलनं भविष्यति।

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